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इलाही ख़ैर! वो हरदम नई बेदाद करते हैं, हमें तोहमत लगाते हैं, जो हम फ़रियाद करते हैं। कभी आज़ाद करते हैं, कभी बेदाद करते हैं। मगर इस पर भी हम सौ ...